📖 प्राचीन काल में पत्रकारिता की झलक
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भारत में समाचार और सूचना के आदान-प्रदान की परंपरा बहुत पुरानी है।
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वैदिक युग में श्रुति और स्मृति के माध्यम से ज्ञान और सूचनाएँ लोगों तक पहुँचाई जाती थीं।
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अशोक के शिलालेख और फरमान भी सूचना प्रसार का एक प्राचीन रूप थे।
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लोकगीत, कथावाचन, और दूत व्यवस्था भी शुरुआती पत्रकारिता मानी जा सकती है।
🖋️ भारत में आधुनिक पत्रकारिता की शुरुआत (प्रिंट पत्रकारिता)
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भारत में आधुनिक पत्रकारिता की शुरुआत 1780 में हुई जब जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने पहला अंग्रेज़ी समाचार पत्र “हिक्कीज़ गजट” (Hickey’s Bengal Gazette) प्रकाशित किया।
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इसके बाद कई अंग्रेज़ी अखबार आए जिनमें Calcutta Gazette और Madras Courier शामिल थे।
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भारतीयों द्वारा निकाला गया पहला अखबार था “समाचार दर्पण” (1819), जिसे बंगाल में राजा राममोहन राय के सहयोग से प्रकाशित किया गया।
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हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत 30 मई 1826 को कलकत्ता से हुई जब “उदंत मार्तंड” (Pandit युगल किशोर शुक्ल द्वारा संपादित) प्रकाशित हुआ।
📢 स्वतंत्रता संग्राम और पत्रकारिता
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आज़ादी की लड़ाई में पत्रकारिता ने एक बड़ा योगदान दिया।
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बाल गंगाधर तिलक का केसरी, महात्मा गांधी का यंग इंडिया और हरिजन, लोकमान्य तिलक, भगत सिंह और राजा राममोहन राय जैसे नेताओं के अखबारों ने जनता को जागरूक किया।
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पत्रकारिता अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ जनमत निर्माण और आंदोलन की ताकत बनी।
📺 स्वतंत्रता के बाद पत्रकारिता का विकास
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1947 के बाद भारत में पत्रकारिता का तेज़ी से विस्तार हुआ।
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अखबारों और पत्रिकाओं की संख्या बढ़ी और समाचार एजेंसियाँ (जैसे PTI, UNI) स्थापित हुईं।
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1950 के दशक में आकाशवाणी (All India Radio) और 1980 में दूरदर्शन (Doordarshan) के आगमन से पत्रकारिता का दायरा और बड़ा हुआ।
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1990 के दशक में निजी टीवी चैनलों ने पत्रकारिता को नए स्वरूप दिए।
💻 डिजिटल पत्रकारिता का दौर
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इंटरनेट आने के बाद 2000 के दशक से ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल्स और ई-पेपर का चलन शुरू हुआ।
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फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ने पत्रकारिता को सीधा जनता तक पहुँचा दिया।
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अब मोबाइल पत्रकारिता (Mobile Journalism - MoJo), नागरिक पत्रकारिता (Citizen Journalism) और डेटा पत्रकारिता का नया युग चल रहा है।
🌍 पत्रकारिता का विकास – निष्कर्ष
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प्राचीन काल से मौखिक परंपरा → छापाखाना → स्वतंत्रता संग्राम → रेडियो/टीवी → डिजिटल और सोशल मीडिया तक पत्रकारिता का सफ़र बहुत लंबा रहा है।
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आज पत्रकारिता केवल खबर पहुँचाने का साधन नहीं, बल्कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ, समाज का दर्पण और परिवर्तन का माध्यम बन चुकी है।
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