लालची मन क्या करे विचार लालच ऐसे टपके जैसे हो कोई अचार सारी उमर चलाते है लालच की दुकान पैसे बचाने के लिए बनवाते है फर्जी मकान लालच की कीमत होती है इतनी भारी कोट कचैरी करते बीत जाती है उमर सारी लालच से सिर्फ मिलता है कुछ पल का सुख बाद मे जब हाथ से जब सब रेत की तरह फिसलता है तो मिलता है मन को अपार दुख लालची के सामने इमानदारी है बहुत सस्ती मन मे हमेशा बेमानी है बस्ती लालच मे हो जाते है अपनो से दूर बता देते है उसे किस्मत का कसूर लालची मन को कभी मिलता नही सकून अपने और ( लालच) की धुन मे जलाते है कितनो का खून लालच मे रहते है कुछ लोग…
Social Plugin