आसमान में ढलती ये सूरज सी आंखे ||2|| क्या आपकी है ? आफ़ताब को घेरे जैसे बादल , वैसी पलके क्या आपकी है ? मुझसे कुछ तो है ये कह रही || 2 || ये "अंदाज – ए – बयां " कुछ ओर ही है, किसी बहते झरने की आवाज़ सी बोलती आंखे क्या आपकी है ? हर बार मुझे है रोक ही लेती || 2 || ठंडक इस नज़र में कुछ ओर ही है , आखिर है क्या ये बात निराली , अलग सी आंखे क्या आपकी है ? अपनी गहराई तक महदूद रखती || 2 || क़सूरवार आंखे आपकी है , दुआ है ,न हो अक्ष – ज़र कभी || 2 || मुस्कुराती सी आंखे सिर्फ आपकी है !!
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