आज के डिजिटल और सूचना युग में पत्रकारिता केवल तथ्यों को रिपोर्ट करने तक सीमित नहीं रह गई है; बल्कि सूचना जुटाने, विश्लेषण करने और तथ्य प्रस्तुत करने की क्षमता ही उसे प्रभावी बनाती है। इसी संदर्भ में RTI (सूचना का अधिकार) और डेटा पत्रकारिता महत्वपूर्ण उपकरण बनकर उभरे हैं। RTI पत्रकारों को सरकारी विभागों, एजेंसियों और सार्वजनिक संस्थाओं से तथ्य और दस्तावेज़ सीधे प्राप्त करने का अधिकार देती है। इसके माध्यम से पत्रकार विभिन्न योजनाओं, सरकारी खर्चों, नीतियों और निर्णयों के पीछे की वास्तविक स्थिति जान सकते हैं। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करती है और भ्रष्टाचार या अनियमितताओं को उजागर करने में मदद करती है।
डेटा पत्रकारिता, दूसरी ओर, बड़ी मात्रा में आंकड़ों और सूचनाओं का विश्लेषण करके उन्हें समझने योग्य और प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत करने की कला है। डेटा का सही विश्लेषण करके पत्रकार न केवल घटनाओं और प्रवृत्तियों को स्पष्ट कर सकता है, बल्कि जटिल सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक मुद्दों को भी पाठक के लिए सुलभ बना सकता है। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य, शिक्षा, अपराध या वित्तीय आंकड़ों का विश्लेषण करके रिपोर्ट तैयार करना। डेटा पत्रकारिता में ग्राफ़, चार्ट, मैप और विज़ुअल टूल्स का उपयोग होता है, जो खबर को अधिक आकर्षक और भरोसेमंद बनाते हैं।
RTI और डेटा पत्रकारिता का संयोजन पत्रकारिता को सटीक, पारदर्शी और प्रभावशाली बनाता है। RTI के माध्यम से तथ्य जुटाए जाते हैं और डेटा पत्रकारिता उन्हें विश्लेषण और प्रस्तुति के लिए व्यवस्थित करती है। इसका उपयोग समाज में जागरूकता फैलाने, नीति निर्माण की समीक्षा करने और सार्वजनिक हित की रक्षा करने में किया जाता है। ऐसे पत्रकार जो इन उपकरणों का सही ढंग से उपयोग करते हैं, वे न केवल विश्वसनीय और तथ्यपरक रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं बल्कि जनता और प्रशासन दोनों के लिए जिम्मेदार पत्रकारिता सुनिश्चित कर सकते हैं।
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