नई पीढ़ी और राष्ट्र/अधिवक्ता.डी. गोविन्द कुशवाहा

ओ नई पीढ़ी!

तुम्हें आज़ादी यूँ ही नहीं मिली,

तुम्हें फोन मिले, किताबें मिलीं, Netflix मिला,

किसी ने अपना नाम मिटा दिया था,

ताकि तुम Instagram पर नाम बना सको।


तुम्हें कैरियर चाहिए, हमें भी चाहिए था,

पर हमने बंदूक थामी थी,

तुम लाइट्स कैमरा थामे हो।


इतिहास को मत भूलो,

वरना इतिहास तुम्हें भूल जाएगा।

ये राष्ट्र तुम्हारा घर है —

लेकिन कोई और इस घर के लिए शहीद हुआ है।

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