लालच की कोई सीमा नही/हर्षमीत कौर

 लालची मन क्या करे विचार 

लालच ऐसे टपके जैसे हो  कोई अचार

सारी उमर चलाते है लालच की दुकान 

पैसे बचाने के लिए बनवाते है फर्जी मकान 

लालच की कीमत होती है इतनी भारी 

कोट कचैरी करते बीत जाती है उमर सारी

लालच से सिर्फ मिलता है कुछ पल का सुख

बाद  मे जब  हाथ से जब  सब रेत की तरह फिसलता है तो मिलता  है मन को अपार दुख 

लालची के सामने  इमानदारी है बहुत सस्ती 

मन मे हमेशा बेमानी है बस्ती 

लालच मे हो जाते है अपनो से दूर

बता देते है उसे किस्मत का कसूर 

लालची मन को कभी मिलता नही  सकून

अपने और ( लालच) की धुन मे  जलाते है कितनो का खून 

लालच मे रहते है कुछ लोग ऐसे मगन 

सोचते है जैसे मिल गया हो सपनो का गगन

नही करते चिन्ता कि मिला नही कितनो को भोजन

बस अपनी दिखावटी दुनिया से सजाते है अपना उपवन ( मन का बगीचा)

छिन जाता है सब कुछ कितनो का इस लालच की आड मे

क्यो नही जाने देते ऐसे लालच को भाड मे

अपने लालच की पूर्ती के लिए करते है दुष्कर्म 

भूल जाते है निभाना इन्सानियत का धर्म 

कहते है लालच बुरी बला 

लालच मे आकर न आजतक हुआ किसीका भला 

वोटो के लालच मे करते है नेता जनता से  अनेक वादे

वोट मिलते ही बदल जाते उनके इरादे

कर्ज को चुुकाने के  लालच मे गरीब करता है सब कुछ कुरबान 

बाद मे यही लालच ले लेता है उसकी जान 

लालच मे आकर बच्चे करते है अपने मा बाप को अपनेआप से दूर 

कर देते है उन्हे ( मा बाप) वृद्धआश्रम मे रहने के लिए मजबूर 

गरीब के लिए लालच उसकी पेट की भूख का साधन है

अमीर का लालच उसकी तिजोरी मे रखा धन है

कई डाक्टर का लालच मरीजो से करना व्यापार है

इलाज के नाम पर उनकी जिन्दगी का कोई आर नही सिर्फ पार  ( मौत) है

लालच का नही कोई अंत क्योकि ओर  की तलप करती है तंग 

मन रूपी घोड़ा भागे बेअंत चाहे जब साथ किसीका  तो छोड दे सब संग 

लालच के सागर मे मन ऐसा डूब जाए 

जो सही बात समझाए  वही न भाए 

लालच की सीमा का नही कोई नाप  तोल

लालची व्यक्ति नही देता  किसी चीज को मोल ( महत्व)

लालच ऐसी चीज है जिसे स्वाद पड जाए उसे लगता कम है

दूसरे के पास ज्यादा कैसे बस यही एक गम है

दो पल के लालच की खातिर  खो देते है अपने नाम को

बाद  मे नही आता वो भी काम जो

लालच की दोड मे मिलता  नही आराम

भूल जाते है राम नाम

लालच तो मा  मे भी होता जिसमे निस्वार्थ प्रेम के साथ बच्चा कुछ नही खोता

( मा का लालच  सिर्फ  बच्चे के लिए उसका मोह है चाहे बच्चे उसे बदले मे वही प्रेम दे ना दे )

बच्चो से काम करवाने का लालच ही है एकमात्र उपाय 

नही  तो उनसे  कोई काम करवा न पाए 

जब  पकडता है लालच मन की चाबी 

 तभी शुरु होती है खराबी 

मत होने दो इस लालच को अपने उपर हावी कभी

जब मन जाग जाए सवेरा  तभी.........सवेरा तभी............

Post a Comment

0 Comments