भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, कोलकाता और विरासत आर्ट प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में “अल्फाज़ इत्तेहाद” कार्यक्रम के अंतर्गत प्रसिद्ध कवयित्री एवं लेखिका सुषमा त्रिपाठी की संस्मरण पुस्तक “जागती स्मृतियां” का भव्य लोकार्पण किया गया, जिसमें साहित्य, कला और भाषा के संगम से सजी इस शाम ने हिंदी-उर्दू के शब्दों को एक नई एकता और संवेदना का स्वर दिया।
इस अवसर पर हैदराबाद (तेलंगाना) से आयीं लेखिका सुषमा त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जागती स्मृतियां लेखिका के जीवन की संघर्षपूर्ण अभिव्यक्ति है और लेखिका ने कैंसर जैसे असाध्य रोग का साहसपूर्ण सामना करके लाखों भारतीयों को प्रेरणा दी है। जिससे विषम परिस्थितियों में भी जीवन को मूल्यवान बनाया है। यही नहीं सुषमा त्रिपाठी ने अपनी दो लोकप्रिय कविताएं - समूह में बैठी स्त्रियां और स्त्री की नियति सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंग्रेजी लेखिका काबेरी चट्टोपाध्याय ने भी" जागती स्मृतियां " की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि यह अंग्रेजी संस्मरण " पीपिंग थ्रू माय विंडो" का उपयुक्त प्रस्तुतीकरण है जिसमें पाठकों का ध्यान रखा गया है। ं
यही नहीं अल्फाज़ ए इत्तेहाद के अंतर्गत हिंदी और उर्दू के प्रसिद्ध कवि, कवियत्री और शायरों ने अपनी भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रस्तुत की । जिसमें साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार प्रो. अनीसुर रहमान, नाजिमा खातून, डाअहमद सिराज, ज्योति शोभा, घुंघरू परमार, रौनक अफरोज, राजर्षि पत्रनोविस की प्रस्तुति सराहनीय रही। कार्यक्रम का सफल संचालन कवियत्री अपर्णा सिंह ने किया।
प्रस्तुत कार्यक्रम में कोलकाता के साहित्यकार दीपक चट्टोपाध्याय, जगरी मुखर्जी, मधु श्रीवास्तव, ऋतुपर्णा खान, इंदु शेखर त्रिपाठी की सक्रिय उपस्थिति महत्वपूर्ण रही है।

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