जिस वसुन्धरा पर ईश्वर ने भी बारम्बार स्वयं जन्म लिया है, देखो उस पृथ्वी का मानव ने आज यह कैसा हाल किया है? मनुष्य के पापों का दिन और रात बेबस धरती बोझ ढोती है, और उसके अत्याचारों से पीड़ित होकर वह निरन्तर रोती है। पुकारती है पृथ्वी कि मानव अब तो कुम्भकर्णी नींद से जागे, प्रकृति से जुड़ जाए वह हृदय से और स्वार्थसिद्धि को त्यागे। यदि मनुष्य इस वसुन्धरा की रक्षा करने में सफल हो जाएगा, तब ही सच्चे अर्थों में उसका अपना भी अस्तित्व बच पाएगा। सो पहले जैसी हो यह पृथ्वी सारी और उसका दोहन बंद हो, नदियाँ कल-कल बहें यहाँ जीवों का विचरण भी स्वच्छंद हो। वृ…
ओ नई पीढ़ी! तुम्हें आज़ादी यूँ ही नहीं मिली, तुम्हें फोन मिले, किताबें मिलीं, Netflix मिला, किसी ने अपना नाम मिटा दिया था, ताकि तुम Instagram पर नाम बना सको। तुम्हें कैरियर चाहिए, हमें भी चाहिए था, पर हमने बंदूक थामी थी, तुम लाइट्स कैमरा थामे हो। इतिहास को मत भूलो, वरना इतिहास तुम्हें भूल जाएगा। ये राष्ट्र तुम्हारा घर है — लेकिन कोई और इस घर के लिए शहीद हुआ है।
बरसात का समय था तेज बारिश हो रही थी। बदायूँ कॉलेज में इंजी० सुरेश चन्द्र क्लास ले रहे थे। तभी गेट की ओर से किसी की धीमी सी आवाज सुनाई दी— "मे आई कम इन सर?" भूरी आंखें, लंबा कद, गोल चेहरा बारिश में तरबतर भीगा हुआ, स्कूल बैग लिए लड़का गेट पर खड़ा था। "यस, कम इन," अध्यापक ने कहा। अंदर आकर लड़का बोला, "जी, मेरा नाम राहुल है। मैं इंजीनियरिंग का नया स्टूडेंट हूं। क्या आप मुझे बता सकते हैं कि केमिकल इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष की क्लास कहाँ है?" "यह प्रथम वर्ष ही है और मैं तुम्हारा क्लास टीचर हूं। वहां जाकर बैठ जाओ।&quo…
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